साहित्यिक
रामधारी सिंह दिनकर: राष्ट्रचेतना और जनजागरण के कवि
जीवन भर अपनी रचनाओं में जन-जागरण के लिए हुंकार की गर्जना भरने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर न केवल हिंदी साहित्य के भंडार को विविध विधाओं से भरने का यत्न करते रहे बल्कि क्रांति-चेतना के प्रखर प्रणेता बनकर अपनी कविताओं के जरिए राष्ट्र प्रेम का अलख जगाते रहे। दरअसल राष्ट्रीय कविता की जो परम्परा भारतेन्दु से शुरू हुई उसकी परिणति हुई दिनकर की कविताओं में। उनकी रचनाओं में अगर भूषण जैसा कोई वीर रस का कवि बैठा था, तो मैथिलीशरण गुप्त की तरह लोगों की दुर्दशा पर लिखने और रोनेवाला एक राष्ट्रकवि भी।
हिन्दी साहित्य सम्राट : मुंशी प्रेमचंद
प्रेमचंद ने अपनी ज़िंदगी में मास्टरी की, संपादकी की लेकिन वे जाने गए कलम के सिपाही तौर पर। प्रेमचंद ने युवावस्था में एकबारगी कलम क्या उठाया, अपनी लेखनी से साहित्य के संसार को प्रकाश पूंज से भर दिया। एक से बढ़कर एक कहानियां लिखी, अनुवाद किया, नाटक लिखा, पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया, कालजयी उपन्यास लिखा, कलम को प्रतिष्ठा दी और साहित्य को नया सरोकार दिया।
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