भारतीय राजव्यवस्था
राष्ट्रपति चुनाव: कैसे चुना जाता है भारत का प्रथम व्यक्ति?
संविधान सभा में राष्ट्रपति के चुनाव और निर्वाचन को लेकर लंबी चर्चा हुई। कुछ सदस्यों का सुझाव था कि केवल संसद के दोनों सदनों के सदस्य राष्ट्रपति का चुनाव करें। वहीं प्रो के टी शाह का सुझाव था कि राष्ट्रपति का चुनाव सार्वजनिक व्यवस्क मताधिकार के जरिए सीधे जनता द्वारा होना चाहिए। लेकिन सवाल यह था कि अगर राष्ट्रपति सीधे जनता द्वारा चुना जाता है तो मंत्री परिषद के समान एक अलग शक्ति का केंद्र बन जाएगा और यह मंत्रियों के उत्तरदायित्व वाली संसदीय प्रणाली के खिलाफ बात होगी। इसलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने इन दोनों तरीकों से अलग एक अनोखा तरीका निकाला।
निर्वाचन आयोग और भारतीय लोकतंत्र का सफ़र
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में नौकरशाह रहे घोर साम्राज्यवादी सर जॉन स्ट्रेची ने 1888 में कैंब्रिज में भाषण देते हुए बड़े अहंकार से कहा था, कि भारतीय राष्ट्र नाम जैसी कोई चीज न तो अतीत में थी, न वर्तमान में है, और ही भविष्य में होने की संभावना है। पंजाब, बंगाल और मद्रास के लोग, कभी यह सोच भी नहीं सकते, कि वे किसी एक देश के नागरिक है। उसने यह भी कहा था कि अंग्रेजों के भारत छोड़ते ही यह सैकड़ों छोटे-छोटे टुकड़ों में बंट जाएगा। लेकिन भारत को आजाद हुए सात दशक से ज्यादा समय बीत चुका है और इस दौरान भारतीयों ने हर चुनौतियों के बावजूद साथ एक साथ रहना सीख लिया है... क्योंकि लोकतंत्र भारतीयों के नसों में गहरे तक समा चुका है। इस लोकतंत्र को साल दर साल जीवंत और मजबूत बनाने का काम किसी ने सबसे ज्यादा किया है, तो वह है हमारी चुनाव प्रणाली और निर्वाचन आयोग। जो हर साल 25 जनवरी को ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ के रूप में अपना स्थापना दिवस एक उत्सव के रूप में मनाता है।
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