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क्वाड: कैसा रहा अब तक का सफ़र और क्या रही उपलब्धियां?

Quad Countries Flag

हिंद-प्रशांत महासागर का इलाका सामरिक और वाणिज्यिक रूप से पूरी दुनिया के लिए तो खास है हीं... इन महासागरों के किनारे रहने वाले देशों के लिए बेहद संवेदनशील भी है। शांतिपूर्ण सुरक्षित व्यापार और बिना किसी रोक-टोक के आवागमन के लिए इस इलाके में समुद्री सुरक्षा काफी जरूरी है... लेकिन चीन की बढ़ती ताकत और अपना वर्चस्व बढ़ाने की मनोवृति ने दुनिया के चार बड़े देशों को एक अनौपचारिक स्ट्रैटेजिक फोरम बनाने पर मजबूर कर दिया जिसका नाम पड़ा क्वाड (QUAD) यानी क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलग। Quadrilateral Security Dialogue की वजह से इसे QSD भी कहा जाता है।

क्या है क्वाड?

क्वाड आधिकारिक तौर पर क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है जिसके सदस्य भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। इसका मकसद इन चारों देशों के समुद्री सीमाओं के हितों का ध्यान रखना, जलवायु परिवर्तन पर काम करना, कोविड-19 महामारी से लड़ना और नवाचार को बढ़ाना है। इसके साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती ताकत का मुकाबला करना भी इसका प्रमुख उद्देश्य है।

क्वाड के गठन की पृष्ठभूमि

क्वाड के गठन की पृष्ठभूमि की बात करें तो 2004 में जब सुनामी आई थी तब भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया उससे निपटने के लिए एक साथ आए थे। उस वक्त चारों देशों ने मिलकर इसे सुनामी कोर ग्रुप नाम दिया था। तब इस गठजोड़ ने राहत और बचाव कार्यों को गति देने में अहम भूमिका निभाई थी। हालांकि उद्देश्य पूरा होने के बाद यह समूह एक तरह से खत्म हो गया था।

इस बीच और खासकर 2007 से चीन ने एशिया-प्रशांत महासागर में अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू कर दिया था। वो पड़ोसी देशों को धमकाने लगा था और समुद्र में अपना सैन्य बेस लगातार बढ़ा रहा था। चीन की तरफ से बढ़ती चुनौती के मद्देनजर 2006 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने एक ऐसे संगठन बनाने का प्रस्ताव दिया, जिसमें इस सामुद्रिक क्षेत्र में आने वाले ताकतवर देश शामिल हो सके। इसके बाद 2007 में मनीला में हुए एशियान देशों के सम्मेलन में ये चारों देश भविष्य में भागीदारी के विकल्पों पर चर्चा करने के लिए मिले। क्वाड के गठन को लेकर यह चारों देशों की पहली औपचारिक मीटिंग थी। मनीला में मिलने के बाद उसी साल सितंबर में इन चारों देशों ने सिंगापुर के साथ मालाबार मिलिट्री एक्सरसाइज- एक प्रमुख नौसैनिक अभ्यास - में भाग लिया। चीन ने तब भी इस अभ्यास और गठबंधन दोनों का कड़ा विरोध किया था।

क्वाड के गठन में रुकावट

समय के साथ घटना चक्र बदला और 2007 में शिंजो आबे ने जापान के प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, 2007 में ही ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री केविन रड बने जो क्वाड के आलोचक माने जाते थे। उन्होंने चीन के दबाव में क्वाड से अपने हाथ पीछे खींच लिए और 2008 तक यह गठजोड़ पूरी तरह से अस्तित्व में आने से पहले ही खत्म हो गया।

शिंजो आबे 2012 में दोबारा जापान के प्रधानमंत्री बने और एक बार फिर उन्होंने हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल कर एक डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड’ ( Democratic Security Diamond) स्थापित करने का विचार प्रस्तुत किया।

क्वाड का औपचारिक गठन

लंबे समय तक इस संगठन से दूर रहे ऑस्ट्रेलिया ने 2017 में आसियान सम्मेलन से ठीक पहले अपना विचार बदला और इसमें शामिल होने की सहमति दी। इसके बाद नवंबर 2017 में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान ने मिलकर क्वाड 2.0 का गठन किया। हालांकि इसे अभी भी क्वाड के नाम से ही जाना जाता है।

क्वाड का संयुक्त सैन्य अभ्यास

ऑस्ट्रेलिया की सहमति के बाद आखिरकार नवंबर 2017 में क्वाड का गठन हो ही गया। इसके बाद साल 2019 में इन चारों देशों के मंत्री स्तरीय वार्ता का आयोजन हुआ। वहीं साल 2020 में क्वाड के सभी चार देशों ने मालाबार अभ्यास में भाग लिया। मालाबार अभ्यास भारत, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेनाओं के बीच होने वाला एक वार्षिक नौसेना अभ्यास है, जिसे हिंद और प्रशांत महासागर में बारी-बारी से आयोजित किया जाता है। साल 2007 के बाद ऑस्ट्रेलिया ने भी 2020 में भारत के अनुरोध पर मालाबार अभ्यास में शामिल हुआ। बीते एक दशक में यह पहला मौका था जब ‘मालाबार 2020’ में क्वाड के सभी चार सदस्यों ने भागीदारी की।

क्वाड शिखर समिट

कोविड महामारी के दौरान क्वाड देशों के आपसी संबंध और कोरोना से लड़ने की प्रतिबद्धता भी देखने को मिली जब मार्च 2021 में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर मिले। इन नेताओं ने कोविड-19 के टीकों, जलवायु परिवर्तन, तकनीकी नवाचार और आपूर्ति-श्रृंखला को सुविधाजनक बनाने के लिए कार्य समूहों का गठन किया।

इसके बाद 24 सितंबर 2021 को क्वाड ने एक नई ऊंचाई हासिल की जब इसके नेताओं ने अमेरिका के व्हाइट हाउस में पहली बार इन-पर्सन समिट की और व्यक्तिगत रूप से मिले। जिसमें इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को ज्यादा मजबूत, ज्यादा समृद्ध और ज्यादा स्थिर बनाने पर सहमति बनी। साथ ही जलवायु परिवर्तन और कोविड महामारी से लड़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा कोविड रोधी टीकों के उत्पादन और दुनिया के अन्य देशों को देने की बात हुई।

क्वाड का अधिकार

क्वाड के कामकाज के तरीकों की बात करें तो क्वाड एक औपचारिक गठबंधन के बजाय सॉफ्ट ग्रुप है। इसके पास फैसला लेना का अधिकार नहीं है। जैसे नाटो देश या संयुक्त राष्ट्र में फैसले लिए जाते हैं। यह गठबंधन समिट, मीटिंग, जानकारी साक्षा करने और सैन्य अभ्यास के जरिए काम करता है। इस गठबंधन का ढांचा बहुत जटिल नहीं है और कोई भी देश इस गठबंधन से कभी भी बाहर हो सकता है।

दरअसल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति बहाल करना और कानून का पालन सुनिश्चित करना ही क्वाड का मूल मकसद है। यह बात इसलिए और जरूरी हो जाती है की इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दुनिया के 38 देश शामिल हैं और चीन इस क्षेत्र में लगातार अपना दबदबा बनाने में जुटा हुआ है ।

 

 

 

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