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क्वाड शिखर सम्मेलन-2021: बेहतर विश्व का निर्माण और वैश्विक चुनौतियों से निपटने का सशक्त मंच

QUAD first in person

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 22 सितंबर से 25 सितंबर 2021 तक का अमेरिका दौरा कई मायनों में खास रहा। पिछले साल जहां कोविड-19 की वजह से संयुक्त राष्ट्र महासभा का 75वें सत्र का आयोजन वर्चुअल करना पड़ा था वहीं इस बार सम्मेलन में भाग लेने के लिए सभी सदस्य देशों के प्रतिनिधि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। इसके साथ ही इस बार 24 सितंबर को क्वाड शिखर समिट यानि Quadrilateral Security Dialogue भी आयोजित हुआ। जिसमें क्वाड देशों के नेता यानी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भाग लिया। क्वाड शिखर समिट इस बार इसलिए बेहद खास रहा क्योंकि पहली बार इसके सदस्य शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए। इससे पहले 12 मार्च 2021 को इन नेताओं की पहली वर्चुअल बैठक हुई थी।

क्वाड शिखर सम्मेलन-2021: व्यापक एजेंडा

व्हाइट हाउस में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन के बाद इसके सदस्य देशों की तरफ से संयुक्त बयान जारी किया गया जिसमें वैश्विक कोरोना महामारी से निपटने को लेकर बेहतर तैयारी पर सहमति के साथ ही क्वाड फेलोशिप तक की बात कही गई। क्वाड के नेताओं ने हिंद-महासागर में स्वास्थ्य सुरक्षा प्रयासों के लिए बेहतर समन्वय बनाने पर भी जोर दिया। इन नेताओं ने 2022 में संयुक्त रूप से महामारी से लड़ने के लिए महामारी तैयारी के रूप में एक टेबलटॉप की प्रैक्टिस की बात भी कही। इस बयान में समुद्री सहयोग से लेकर व्यापार के लिए जरूरी सप्लाई चेन तक परस्पर सहयोग करने की बात भी कही गई।

संयुक्त बयान में अपने एजेंडे को जाहिर करते हुए क्वाड नेताओं ने कोरोना से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर 1.2 अरब वैक्सीन डोज देने की बात कही। अपने बयान में इन नेताओं ने कहा कि कोविड की वजह से दुनिया को बहुत दर्द झेलना पड़ा है। बयान में यह घोषणा भी हुई कि 2022 के अंत तक भारत में एक अरब वैक्सीन तैयार होगी। क्वाड देशों ने अपने बयान में भारत द्वारा कोविड वैक्सीन का निर्यात दोबारा शुरू करने की सराहना भी की। संयुक्त बयान में कहा गया है कि जापान बैंक फॉर इंटरनेशनल कोऑपरेशन के जरिए भारत के साथ कोविड से जुड़े स्वास्थ्य क्षेत्र में करीब 100 मिलियन डॉलर का प्रमुख निवेश किया जाएगा, इसमें वैक्सीन और इलाज के लिए दवाएं शामिल हैं।

इसके साथ ही हिंद प्रशांत क्षेत्र में बुनियादी विकास के लिए एक समन्वय समूह के गठन, साफ और स्वच्छ ईंधन और पर्यावरण सुरक्षा के लिए कई उपायों की घोषणा की गई। इसमें बढ़ते जलवायु संकट और जटिल होती क्षेत्रीय सुरक्षा से निपटने की बात भी कही गई। संयुक्त बयान में कहा गया कि सदस्य देशों की जनता के बीच बेहतर संपर्क और आपसी समझबूझ विकसित करने के उपाय भी किए जाएंगे। इसके साथ ही 5जी, सेमी-कंडक्टर समेत अत्याधुनिक तकनीक भी आपस में साझा करने के लिए कदम उठाया जाएगा।

क्वाड फेलोशिप

क्वाड नेताओं के संयुक्त बयान में क्वाड फेलोशिप लॉन्च करने का ऐलान भी किया गया। चारों राष्ट्राध्यक्षों ने क्वाड फेलोशिप देने पर सहमति जताई। इसके तहत हर क्वाड देश से 25 छात्र और कुल 100 छात्रों को ये फेलोशिप दी जाएगी। इसके लिए अमेरिका के STEM ग्रेजुएट यूनिवर्सिटी में मास्टर्स और डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने की लिए हर साल 100 छात्रों को स्पॉन्सर करने पर सहमति बन गई है।

भारतीय उद्योग जगत के लिए अवसर की संभावना

क्वाड शिखर समिट के संयुक्त बयान से जाहिर होता है कि उसके सभी चारों सदस्य देशों  के बीच स्वास्थ्य मामलों से लेकर आर्थिक, विज्ञान, अत्याधुनिक तकनीक, ढांचागत विकास में कई स्तरों पर गहरी समझबूझ और साझेदारी विकसित होगी। इस साझेदारी से भारतीय उद्योग जगत और पेशेवरों के लिए भी बड़े अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।

आतंकवाद से भारत लंबे समय से पीड़ित रहा है और वैश्विक मंचों पर लगातार उसे उठाता भी रहा है। अमेरिकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कई मंचों पर अफगानिस्तान को लेकर जो चिंताएं जाहिर की उसे भी इस बायन में तरजीह दी गई है। हालांकि इसमें तालिबान का नाम नहीं लिया गया लेकिन कहा गया है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न तो आतंकी गतिविधियों के लिए होना चाहिए और न ही किसी दूसरे देश पर आतंकी हमलों के लिए।

चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश

चीन पर तकनीकी निर्भरती कम करने को लेकर भी इस बयान में महत्वपूर्ण बातें कही गईं। सीधे तौर पर चीन का नाम लिए बिना इसमें कहा गया कि भविष्य में चारों देश अत्याधुनिक और बेहद जरूरी माने जाने वाली तकनीक के विकास में साक्षा रूप से काम करेंगे। इसके तहत पारदर्शी, सुरक्षित 5जी नेटवर्क विकसित किए जाएंगे और 5जी के बाद की तकनीक के संदर्भ में भी काम शुरू किया जाएगा।

चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम लगाने की कोशिश

बदलते वैश्विक परिवेश में क्वाड शिखर सम्मेलन के संयुक्त बयान से साफ है कि इन देशों के पास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ एक व्यापक और ठोस एजेंडा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को अपना साझा भविष्य बताते हुए इस पूरे क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाने के साथ ही शांति और समृद्धि के जिस रास्ते पर चलने का वादा इन देशों ने किया है वह चीन के मौजूदा रवैये से पूरी तरह से अलग है।

दरअसल, क्वाड समूह एकतरह से चीन के विस्तारवादी और आक्रामक नीति को रोकने और और उसे घेरने की रणनीति के तहत ही बनाया गया है। वहीं चीन की दूसरी तरफ से घेराबंदी के लिए ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका ने कुछ दिन पहले ही एक त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता किया है जिसे ‘ऑकस’ नाम दिया गया है। हालांकि दोनों संगठनों का उद्देश्य अलग-अलग है और एक दूसरे को प्रभावित करने वाले नहीं हैं। क्वाड’ का गठन जहां हिंद-प्रशांत क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने किया गया है वहीं ऑकस तीन देशों के बीच सुरक्षा गठबंधन है।

चाहे जरूरत के हिसाब से ढांचागत विकास की बात हो, क्षेत्रीय सुरक्षा की बात हो, 5जी और अन्य दूसरे अत्याधुनिक तकनीक को सुरक्षित बनाने के लिए संयुक्त अभियान की बात हो, क्वाड के इस शिखर समिट से यह बात बहुत हद तक साफ हो गई है क्वाड एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण से काम करेगा और भविष्य में इसका विस्तार हिंद-प्रशांत क्षेत्र से बाहर भी हो सकता है।

क्वाड और भारत की प्रतिबद्धता

क्वाड को लेकर भारत की प्रतिबद्धता की बात करें तो भारत हमेशा से इसे लेकर काफी संवेदनशील रहा है। इस बात को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 सितंबर को हुई क्वाड शिखर सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में दोहराया भी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्वाड कोरोना वैक्सीन को लेकर हिंद-प्रशांत देशों की काफी मदद करेगा। उन्होंने कहा कि हमारा क्वाड एक तरह से Force for global good की भूमिका में काम करेगा और क्वाड में भारत का सहयोग इंडो-पैसिफिक में और विश्व में शांति और समृद्धि सुनिश्चित करेगा।

वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी क्वाड को लेकर बेहद महत्वपूर्ण बातें कही। उन्होंने कहा कि क्वाड समूह में लोकतांत्रिक साझेदार हैं जो वैश्विक और भविष्य के मुद्दों पर साझा विचार रखते हैं। उन्होंने कहा कि यह समूह वर्तमान समय की प्रमुख चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट हैं।

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