हाथरस भगदड़ कांड में योगी सरकार ने किया 6 अधिकारियों को सस्पेंड
SDM, CO और तहसीलदार समेत 6 अधिकारी सस्पेंड
न्यूज डेस्क: विषय विशेष
हाथरस भगदड़, लखनऊ: हाथरस में हुई भगदड़ घटना को लेकर मुख्यमंत्री योगी की सरकार फूल एक्शन में है। पहले तो इस घटना के जांच के लिए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने एसआईटी का गठन किया। और अब एसआईटी की रिपोर्ट पर एसडीएम, सीओ समेत छह अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया है। दरअसल एसआईटी ने अपनी शुरुआती जांच में चश्मदीद गवाहों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर दुर्घटना के लिए संबंधित अधिकारियों और कार्यक्रम आयोजकों को मुख्य रूप से जिम्मेदार माना है। एसआईटी ने कहा है कि अधिकारियों ने कार्यक्रम को गंभीरता से नहीं लिया और वरिष्ठ अधिकारियों को भी इससे अवगत नहीं कराया। एसआईटी ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। एसआईटी की इसी प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर यूपी सरकार ने उप जिला मजिस्ट्रेट सिकंदराराऊ, पुलिस क्षेत्राधिकारी सिकन्दराराऊ, थानाध्यक्ष सिकन्दराराऊ, तहसीलदार सिकंदराराऊ, चौकी प्रभारी कचौरा और चौकी प्रभारी पोरा को सस्पेंड कर दिया है।
गौरतलब है कि हाथरस के सिकंदराराऊ में 2 जुलाई को नारायण स्वामी हरि के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के तुरंत बाद इसकी जांच के लिए एक एसआईटी गठित की गई थी। इसके तहत एडीजी जोन आगरा और मंडलायुक्त अलीगढ़ की एसआईटी ने 2, 3 और 5 जुलाई को घटनास्थल का दौरा कर निरीक्षण किया। जांच के दौरान कुल 125 लोगों का बयान दर्ज किया गया। जिसमें प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ ही स्थानीय जनता और घटना के चश्मदीदों के बयान भी शामिल थे। इसके अलावा घटना से जुड़ी अखबारों में प्रकाशित खबरें, वीडियो, छायाचित्र, और वीडियो क्लिपिंग का भी संज्ञान लिया गया। एसआईटी ने इस घटना के पीछे किसी साजिश के होने से भी इनकार नहीं किया है और इसकी भी जांच करने की सिफारिश की है।
एसआईटी ने अपने शुरुआती रिपोर्ट में सस्पेंड किए गए अधिकारियों और स्थानीय पुलिस प्रशासन को घटना के लिए दोषी माना है। एसआईटी ने कहा है कि संबंधित अधिकारी अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ रहे और उन्होंने इससे आयोजन से जुड़ी बातों से अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत नहीं कराया। उप जिला मजिस्ट्रेट ने बिना कार्यक्रम स्थल का दौरा और निरीक्षण किए कार्यक्रम के आयोजन की अनुमति दे दी। साथ ही अनुमति के लिए निर्धारित शर्तों की भी अनदेखी की गई। बड़ी संख्या में उपस्थित भीड़ को नियंत्रित करने का कोई उपाय पहले से नहीं किया गया था।
भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किसी प्रकार के बैरिकेड्स नहीं लगाए गए थे और ना ही कोई पर्याप्त व्यवस्था की गई थी। जब भगदड़ की घटना हुई तो उसके बाद आयोजक मंडल के सदस्य घटनास्थल से भाग गए।