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क्यों ज़रूरी है क्वाड और कैसे लगाएगा चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम?

Merchant ship in Indo Pacific sea

हिंद-प्रशांत क्षेत्र क्यों महत्वपूर्ण?

दुनिया के वर्तमान भू-राजनीतिक व्यवस्था में हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्व तेजी से बढ़ता जा रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र विश्व की कई अर्थव्यवस्थाओं की भू-रणनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में विश्व व्यापार की 75 फीसदी वस्तुओं का आयात-निर्यात इसी क्षेत्र से होता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े बंदरगाह विश्व के सबसे ज्यादा व्यस्त बंदरगाहों में शामिल हैं। यही नहीं यह क्षेत्र विश्व की जीडीपी में करीब 60 फीसदी का योगदान करता है। ऊर्जा व्यापार से लेकर उपभोक्ता और उत्पाद तक यह क्षेत्र संबंधित राष्ट्रों के लिए हमेशा संवेदनशील रहा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कुल 38 देश हैं जो विश्व के कुल सतह क्षेत्र का करीब 44 फीसदी हिस्सा घेरते हैं। विश्व का करीब 65 फीसदी आबादी इन देशों में रहती है।

संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में 1.9 ट्रिलियन डॉलर यानी करीब 140 लाख करोड़ रुपये का अमेरिकी कारोबार इन दो महासागरों और कई महाद्वीपों को छूने वाले क्षेत्र से होकर गुजरा था। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का 42 फीसदी निर्यात और 38 फीसदी आयात यहां से होकर जाता है।

Indo Pacific Region on Map
Indo-Pacific Region

क्वाड की जरूरत क्यों?

आर्थिक और रणनीतिक रूप से इतने महत्वपूर्ण क्षेत्र की यथास्थिति को बदलने के लिए चीन पिछले एक दशक से ज्यादा समय से प्रत्यनशील है और यह बात अमेरिका समेत क्वाड के सभी देशों के लिए चिंता का सबब है। इसके साथ ही चीन जिस तरह से लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रह है उसने भी क्वाड देशों की चिंता बढ़ाई है। क्वाड के प्रत्येक सदस्य को लगता है कि दक्षिण चीन सागर में चीन जिस तरह से पैर पसार रहा है और वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट जैसी पहलों के जरिए अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है उससे उनके लिए खतरा बढ़ रहा है।

जहां तक क्वाड देशों का चीन से संबंध की बात है तो अमेरिका लंबे समय से चीन के साथ वैश्विक प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंतित है। अमेरिका और चीन के बीच जारी ट्रेड वार जग जाहिर है। इसी तरह जापान और ऑस्ट्रेलिया दोनों दक्षिण और पूर्वी चीन सागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी को लेकर परेशान हैं। वहीं भारत क्वाड का एकमात्र ऐसा देश है जिसकी सीमाएं चीन से लगती है। चीन की विस्तारवादी नीति की वजह से भारत के साथ उसके सीमा विवाद चिंता की बात रही है। कोविड-19 महामारी का प्रभाव चीन से फैलना और कोरोना पर लेकर चीन के रूख ने भी दुनिया के देशों को परेशान किया है। ऐसे हालात में यह लाजिमी हो जाता है कि चीन के विस्तावरवाद और लोकतांत्रिक मूल्यों के हनन की नीति को रोकने के लिए इन देशों का साथ आना।

क्वाड देश और चीन की सैन्य-आर्थिक स्थिति

क्वाड देशों और चीन की आर्थिक-सामरिक मुद्दों की बात करें तो क्वाड दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य संगठन है। क्वाड देशों के सैनिकों की संख्या जहां 70 लाख के करीब है वहीं चीन के पास 30 लाख के आसपास सैनिक हैं। क्वाड देशों की आर्थिक ताकत को अगर मिला दिया जाए तो यह चीन की ताकत की दोगुनी हो जाती है। चीन की अर्थव्यस्था करीब 16 ट्रिलियन डॉलर की है तो क्वाड देशों की सम्मिलित अर्थव्यवस्था 30 ट्रिलियन के बराबर है। एक बड़ा बुनियादी फर्क ये है कि क्वाड के सभी चार देशों में संसदीय प्रणाली व्यवस्था है जबिक चीन कम्युनिस्ट शासन प्रणाली वाला देश है। ऐसे में अगर क्वाड देश आपसी समझौते और एक-दूसरे के हितों को ध्यान में रखकर न्यायसंगत रणनीति बनाते हैं तो चीन के विस्तारवादी रणनीति और सामुद्रिक वर्चस्व बनाने की पहल को रोका जा सकता है।

भारत के लिए क्वाड का महत्व

भारत के लिए क्वाड काफी महत्व रखता है। भारत अपनी सक्रियता से इसका फायदा भी उठा सकता है। अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड वार, कोरोना के मामले में चीन का दुनिया को देरी से बताना और वुहान, हांगकांग, शिनजियांग और गलवान घाटी मामले में चीन की आक्रामक नीति ने भारत के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। ऐसे में भारत अपनी नीतियों में बदलाव कर व्यापक निवेश हासिल कर सकता है। इससे रोजगार की स्थिति सुधरेगी और क्वाड में भारत की अहमियत भी बढ़ेगी। साथ ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मानवीय सहायता, आपदा प्रबंधन, समुद्री निगरानी और इस क्षेत्र के कमजोर देशों की सहायता की पहल कर भारत वैश्विक राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है।

क्वाड देशों की चुनौतियां

हालांकि ऐसा नहीं है कि क्वाड देशों के सामने चुनौतियां नहीं हैं। सबसे बड़ी चुनौति तो कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण और वैश्विक आपूर्ति है। तीसरी दुनिया के देशों में आबादी के कुल एक फीसदी लोगों को ही अभी तक वैक्सीन लग पाई है। ऐसे में उन्हें वैक्सीन मुहैया कराना एक बड़ी चुनौती है। हालांकि क्वाड 2021 समिट में इसे लेकर बड़ी घोषणा हुई। भारत ने कहा कि वह 2022 के अंत तक एक अरब वैक्सीन का निर्माण करेगा। क्वाड नेताओं ने यह घोषणा भी की कि कोरोना से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर 1.2 अरब वैक्सीन डोज दिया जाएगा।

क्वाड के सभी देश चीनी आपूर्ति श्रृंखलाओं पर बहुत अधिक निर्भर है और प्रत्येक देश एक-दूसरे की तुलना में चीन के साथ आर्थिक रूप से अधिक जुड़ा हुआ है। ऐसे में चीन पर बनी इस निर्भरता को कम करना एक बड़ी चुनौती होगी। सैन्य और सामरिक रूप से मजबूत होने के लिए क्वाड देशों को आपस में मजबूत साझेदारी और सैन्य अभ्यास को लगातार आयोजित करना होगा। साथ ही सैन्य उपकरणों और उनके तकनीक को भी आपस में साझा करना होगा।

क्वाड को लेकर चीन का रूख

जहां तक क्वाड को लेकर चीन की बात है तो वह शुरू से इसका विरोध करता रहा है। क्वाड देशों के गठबंधन को चीन नाटो के बरक्स देखता है। हाल ही में चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि क्वाड को किसी देश को टारगेट नहीं करना चाहिए। एक देश को टारगेट करने के लिए बना क्षेत्रीय सहयोग बेकार है और इसका कोई भविष्य नहीं है। चीन का मानना है कि क्वाड देश क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं और हथियारों की होड़ तेज कर रहे हैं। हालांकि इन सब के पीछे चीन की विस्तारवादी नीति का बड़ा हाथ है|

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