अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2021: महत्व और जरूरत
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2021: महत्व और जरूरत
दुनिया में किसी भी देश में शासन व्यवस्था को चलाने के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है लोकतंत्र... जहां समाज के अंतीम छोर पर बैठा व्यक्ति भी अपने मत और अधिकार का इस्तेमाल कर देश में सुशासन और लोकतांत्रिक सरकार के गठन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह वह व्यवस्था है जो अपने राज्य के हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के उनके सभी अधिकारों को सुनिश्चित करता है और राज्य के विकास में उनके सक्रिय भागीदारी को लगातार बढ़ावा देता है। लोकतंत्र के इस बुनियाद को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए हर साल 15 सितंबर को अतंर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है।
लोकतंत्र क्या है ?
दरअसल लोकतंत्र केवल एक नैतिक आदर्श नहीं है बल्कि एक राजनीतिक और कानूनी सिद्धांत भी है। जिसका संगठन और विकास इस तरह से किया जाता है कि नागरिकों के राजनैतिक और मौलिक अधिकार की रक्षा हो ताकि वे राज्य के कानूनी और वैधानिक संस्थाओं में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले सके। लोकतंत्र में सार्वभौमिक मताधिकार के तहत स्वतंत्र चुनाव के जरिए न केवल जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है बल्कि कानून का शासन अपनाकर राज्य में नियंत्रण और संतुलन की प्रणाली भी स्थापित की जाती है। इसके साथ ही प्रेस की आजादी सुनिश्चित करने के साथ ही समाज के विकास में नागिरकों की सक्रिय भागीदारी को भी बढ़ावा दिया जाता है।
लोकतंत्र और मानवाधिकार की सार्वभौम घोषणा
स्वतंत्रता, मानवाधिकारों का सम्मान और सार्वभौमिक मताधिकार के जरिए समय-समय पर निष्पक्ष चुनाव का सिद्धांत लोकतंत्र के प्रमुख तत्व हैं। ये मानव अधिकारों की रक्षा और उन्हें हासिल करने की शक्ति प्रदान करते हैं। लोकतंत्र के इन मूल्यों की चर्चा मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक और अधिकार नियम में भी की गई है। मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा के अनुच्छेद 21(3) के मुताबिक
“कोई भी सरकार लोगों के इच्छा के आधार पर ही गठित होगी, जिसका चुनाव जनता समय-समय पर होने वाले सार्वभौमिक मताधिकार के जरिए करेगी और यह चुनाव गुप्त मतदान प्रक्रियाओं के तहत सम्पन्न कराया जाएगा।“
अंतर्राष्ट्रीय लोकंतत्र दिवस: उद्देश्य
दुनिया भर में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और उसे मजबूत करने मकसद से ही साल 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 15 सितंबर को अंतर्राष्ट्रिय लोकतंत्र दिवस मनाने का ऐलान किया। इसके लिए संयुक्त राष्ट्र ने लोकतंत्र का समर्थन करने वाल एक प्रस्ताव पारित किया जिसमें कहा गया कि
यद्यपि लोकतंत्र समान विशेषताओं को साझा करता है, इसलिए लोकतंत्र का कोई एक मॉडल नहीं है और इस प्रकार लोकतंत्र किसी देश या क्षेत्र से संबंधित नहीं है।
लोकतंत्र एक वैश्विक मूल्य है जो लोगों को उनकी खुद की राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं को तय करने के लिए स्वतंत्र रूप से अभिव्यक्त इच्छाओं पर आधारित है।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस: महत्व
संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के बाद पहला अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस साल 2008 मनाया गया। दरअसल अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस दुनिया भर में लोकतंत्र की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करता है। लोकतंत्र एक लक्ष्य के रूप में एक प्रक्रिया भी है जिसके जरिए समाज में मानवाधिकारों और कानूनों के नए नियम की हमेशा रक्षा की जाती है और जिसे अतंर्राष्ट्रीय समुदाय और नागरिकों के पूर्ण सहयोग और सहभागिता से हासिल किया जा सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस: थीम
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की थीम हर साल अलग-अलग होती है। साल 2021 में अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस को बढ़ाव देने के लिए संयुक्त राष्ट्र तीन महत्वपूर्ण तत्वों को बढ़ावा दे रहा है। इनमें स्वतंत्रता, मानवाधिकार और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव शामिल है। इस साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रचारित किया जा रहा हैशटैग है #StandUp4HumanRights.
साल 2020 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिवस पर COVID-19 और इससे निपटने वाली दुनिया भर की सरकारों पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया। इसे “कोविड-19: ए स्पॉटलाइट ऑन डेमोक्रेसी” नाम दिया गया। 2019, में यह कार्यक्रम “भागीदारी” विषय के तहत हुआ। वहीं 2018 की थीम थी “लोकतंत्र दबाव में: एक बदलती दुनिया के लिए समाधान।“
भारत में लोकतंत्र कितना मजबूत ?
भारत की बात करें तो यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां 60 करोड़ से ज्यादा लोग अपने मत का प्रयोग कर सरकार चुनते हैं। हर पांच साल में बड़े पैमाने पर चुनाव कराना मानवाधिकारों और सार्वभौमिक मताधिकार का प्रयोग करने का सबसे अच्छा उदाहरण है और यही भारत के लोकतंत्र की सबसे बड़ी मजबूती है।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र: चुनौतियां
हालांकि वैश्विक स्तर पर लोकतंत्र को काफी चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है। तालिबान और अन्य आतंकी सगंठनों के उदय ने लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा कर दिया है। दुनिया भर में लोकतंत्र की स्थिति पर नज़र रखने वाली संस्था फ्रीडम हाउस की मई 2021 की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में दुनिया के 73 देशों में लोकतंत्र की स्थिति कमजोर हुई जो अब तक की सबसे चिंताजनक स्थिति है। 2020 में दुनिया भर में स्वतंत्र दर्जे वाले 82 देश ही बचे हैं जो अब तक की सबसे कम संख्या है। वहीं 59 देशों में आंशिक रूप से लोकतंत्र बचा है जो चिंता की बात है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 54 देश ऐसे हैं जो स्वतंत्र नहीं हैं यानि यहां जनता के पास लोकतांत्रिक अधिकार नहीं हैं। रिपोर्ट के मुताबिक विश्व की 25 फीसदी आबादी ही लोकतांत्रिक देशों के स्वतंत्र माहौल में रहती है। हालांकि इसमें ये भी कहा गया कि 2020 में 28 देशों ने लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को बेहतर किया।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस दुनिया में लोकतंत्र के महत्व को दर्शाता है। यह शासन व्यवस्था का वह रूप है जो नागरिकों को उनके अधिकार सुनिश्चित करने के साथ ही अधिकतम सहजता और आत्म-मूल्य की भावना प्रदान करता है। यह लोगों को अपना नियम कायदा निर्धारित करने और कानून का राज स्थापित करने में मदद करता है जो मजबूत राष्ट्र के निर्माण के लिए बेहद जरूरी है।