भारत
भारत में पंचायती राज संस्थाओं का महत्व, उपयोगिता और जरूरत
भारत गांवों में रहता था और आज भी गांवों में रहता है। भले ही भारत में औद्योगिक विकास काफी हो चुका है, और शहरों का दायरा भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है... इसके बावजूद आज भी आधी से ज्यादा आबादी गांवों में ही रहती है। तभी तो ग्राम स्वराज की दृढ़ संकल्पना के साथ महात्मा गांधी ने कहा था कि --- “सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, अपितु यह तो गाँव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है”
‘तिरंगा’: राष्ट्रीय अस्मिता और स्वाभिमान का प्रतिक और इसके शिल्पकार पिंगलि वेंकय्या
जिस झंडे के नीचे आज हम अपने आजाद भारत को देखते हैं और जिसको हम स्वतंत्र भारत के ऊपर लहराते हैं... वह मात्र तीन रंगों के कपड़े का एक टुकड़ा भर नहीं है, बल्कि यह हमारी गौरवशाली परंपरा, स्वाभिमान और अस्मिता की पहचान है। दरअसल, एक देश की पहचान उसके ध्वज, प्रतीक, और राष्ट्र गान से होती है, जो उसके लिए अद्वितीय होता है... और हमारा राष्ट्रीय ध्वज- तिरंगा- उन्हीं में से एक है, जो हमे गर्व और स्वाभिमान के साथ जीने की ताकत देता है।
अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2021: महत्व और जरूरत
दुनिया में किसी भी देश में शासन व्यवस्था को चलाने के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है लोकतंत्र... जहां समाज के अंतीम छोर पर बैठा व्यक्ति भी अपने मत और अधिकार का इस्तेमाल कर देश में सुशासन और लोकतांत्रिक सरकार के गठन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह वह व्यवस्था है जो अपने राज्य के हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के उनके सभी अधिकारों को सुनिश्चित करता है और राज्य के विकास में उनके सक्रिय भागीदारी को लगातार बढ़ावा देता है। लोकतंत्र के इस बुनियाद को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए हर साल 15 सितंबर को अतंर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है।
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आजादी का 75वां जश्न और हमारी विरासत
15 अगस्त 1947...भारतीय इतिहास का वह सुनहरा दिन... जब सदियों की गुलामी और दासता के बाद भारत ने आजादी हासिल की थी....खुदमुख्तार मुल्क के रूप में 15 अगस्त 1947 को भारत ने दुनिया के मानचित्र पर अपनी जगह बनाई और यह तारीख हर भारतीय के दिलों-दिमाग पर सुनहरे अक्षरों में अंकित हो गया...। आजाद होने के बाद भारत ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति, लगातार कठिन परिश्रम और वसुधैव कुटुंबकम की नीति पर आगे बढ़ते हुए हर क्षेत्र में विकास और बदलाव को नई दिशा और गति प्रदान की। इन कोशिशों का नतीजा ये हुआ कि हर क्षेत्र में बदलाव हुए जिन्होंने देश के रुख को बदल दिया और भारत को एक नई पहचान दी। आज भारत शिक्षा, अर्थव्यवस्था, तकनीक, रक्षा, खेल, उद्योग और नवाचार समेत तमाम क्षेत्रों में वैश्विक पटल पर अपनी सुदृढ़ पहचान के साथ खड़ा है।
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