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विषय विशेष

समसामयिक, राजनीतिक, साहित्यिक, सांस्कृतिक, ऐतिहासिक,वैश्विक और संवैधानिक विषयों से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर सारगर्भित जानकारी के लिए देखिए विषय विशेष यूट्यूब।

Vishay Vishesh

 

VISHAY VISHESH: UNITED NATIONS | संयुक्त राष्ट्र

1939 से 1945 तक चले दूसरे विश्व युद्ध के दौरान हुए विध्वंस और इससे पहले प्रथम विश्वयुद्ध के विनाश से दुनिया के तमाम देश तंग आ चुके थे। इस विनाशकारी प्रभाव से बचने के लिए दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान ही प्रयास किए जाने लगे थे। कोशिश यह थी कि भविष्य में इस प्रकार के युद्धों को रोकने और शांति बनाए रखने की दिशा में कोई सार्थक प्रयास की जानी चाहिए... और इन्हीं प्रयासों का नतीजा था, 1945 में संयुक्त राष्ट्र का गठन। विषय वेशष यू-ट्यूब चैलन की इस खास एपिसोड में देखिए संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन, इतिहास, महत्व और उसके कामकाज के तरीकों के साथ ही उसकी प्रासंगिकता के बारे...

COP26 SUMMIT | CLIMATE CHANGE AND CHALLENGES

दुनिया भर में तूफान, बाढ़ और जंगल में आग की घटना दिनोंदिन तेजी से बढ़ती जा रही है। वायु प्रदूषण लाखों लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। मौसम में अप्रत्याशित बदलाव की वजह से लाखों लोगों के रहने और आजीविका पर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। तमाम कोशिशों के बावजूद स्थितियां दिन प्रतिदिन और भयावह ही होती जा रही है। जलवायु परिवर्तन के इस विनाशकारी प्रभाव पर रोक लगाने और इसके लिए प्रभावी कदम उठाने के लिए 31 अक्टूबर से 12 नवंबर, 2021 तक स्कॉटलैंड के ग्लासगो में 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन यानी कॉप-26 का आयोजन हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र के निर्देशन में होने वाला यह

G20 Leaders’ Summit 2021 | Vishay Vishesh on G20

कोविड-19 वैश्विक महामारी ने जहां पूरे विश्व की अर्थव्यस्था को बुरी तरह से प्रभावित किया है...वहीं जलवायु परिवर्तन की चुनौती से पूरी दुनिया जूझ रही है...साथ ही, वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं की बुनियादी कमी भी काफी चिंता की बात है... इन हालातों में दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का 80 फीसदी हिस्सा साझा करने वाले देशों का जी20 शिखर सम्मेलन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि रोम में आयोजित 16वां G20 शिखर सम्मेलन कितना सार्थक रहा और जी20 शिखर सम्मेलन अब तक अपने उद्देश्यों को हासिल करने में कितना सफल रहा है

विषय विशेष | आजादी के गुमनाम नायक शचींद्रनाथ सान्याल

भारत ने सैकड़ों साल तक गुलामी की यातना और दंश को झेला है। सदियों तक गुलाम रहे भारत को आजादी दिलाने में हजारों-लाखों राष्ट्रभक्तों ने अपने प्राणों की आहूती दे दी। आजादी के इन दीवानों में सिर्फ पढ़े लिखे लोग और युवा क्रांतिकारी ही नहीं थे बल्कि... इनमें शिक्षित, अशिक्षित, वनवासियों, आदिवासियों, आम लोगों और निडर महिलाओं का अदम्य साहस और कुर्बानियां भी शामिल हैं...जिन्होंने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देश की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। इन्हीं राष्ट्रभक्तों में से एक थे महान क्रांतिकारी शचींद्रनाथ सान्याल...

विषय विशेष | आजादी के गुमनाम नायक: करतार सिंह सराभा

भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान भारत को आजाद कराने का लक्ष्य लेकर विदेशों में रह रहे भारतीयों द्वारा शुरू किया गया गदर आंदोलन काफी महत्वपूर्ण है। गदर का इतिहास हजारों देशभक्तों और सैकड़ों शहीदों का इतिहास है। दरअसल, गदर पार्टी का इतिहास एक अद्भूत नाटक है..

Vishay Vishesh | Samvidhan Divas | Constitution Day | Constitution of India

सैकड़ों साल की दासता और गुलामी के बाद 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ। भारत की आजादी उसकी जनता के लिए एक ऐसे युग की शुरुआत थी जो एक नए दर्शन, विचार और सिद्धांत से प्रेरित था...

Importance of Putin Visit to India : Indo-Russia relations

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन छह दिसंबर को भारत दौरे पर आ रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ नई दिल्ली में होने वाले 21 वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब चीन और भारत सीमा विवाद चरम पर है। साथ ही रूसी मिसाइल सिस्टम एस 400 को लेकर अमेरिका ने भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपना रखा है। हालांकि क्वाड के गठन और दक्षिण पूर्व एशिया में बदलते भू-राजनीतिक घटनआओं की वजह से भारत-अमेरिका के सामरिक संबंधों में सुधार भी हुआ है। वहीं, बदलते वैश्विक परिवेश में चीन और रूस भी एक-दूसरे के नजदीक आए हैं। ऐसे में

Azadi Ke Gumnaam Nayak : Peer Ali Khan | Unsung Hero - पीर अली खाँ

1857 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में सिर्फ राजा, महाराजा, नवाब और सामंत ही नहीं थे, जिनके सामने अपने छोटे-बड़े राज्यों और रियासतों को बचाने की चुनौती थी। बल्कि उस दौर के अनगिनत योद्धा ऐसे भी थे, जिनके पास न तो जमींदारी थी और न ही बहुत पैसा। लेकिन उनके पास कुछ था तो वह अंग्रेजों की दासता से भारत को मुक्ति दिलाने के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर देने का जज्बा...। ‘पीर अली खां’ 1857 के स्वाधीनता संग्राम के ऐसे ही एक योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेजों को देश से भगाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। देखिए ‘आजादी के गुमनाम नायक’ की सीरीज में क्रांतिकारी ‘पीर अली खां’ की कहानी....।