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समसामयिक

संयुक्त राष्ट्र: बदलते परिवेश में जरूरी है बदलाव

UN pics collage

अपने गठन के बाद से संयुक्त राष्ट्र ने जहां इसने वैश्विक स्तर कई मुद्दों को सुलझाने में सफलता हासिल की है, वहीं अनेक महत्वपूर्ण मुद्दें अनसुलझे रह गए हैं, जो संयुक्त राष्ट्र की कमियों और असफलताओं को उजागर करते हैं। 1945 में संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से अब तक दुनिया में काफी बदलाव हो चुके हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र की संरचना में खासकर इसके सुरक्षा परिषद में कोई बदलाव नहीं हुआ है। भारत, जर्मनी, जापान और ब्राजील जैसे देश लंबे समय से लगातार इस बात की पुरजोर मांग कर रहे हैं कि सुरक्षा परिषद की संरचना में बदलाव कर उन्हें भी इसमें शामिल किया जाए। बदलते वैश्विक परिवेश में यह जरूरी भी है कि संयुक्त राष्ट्र की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए इसके सुरक्षा परिषद में बदलाव और विस्तार किया जाए।

अंतर्राष्ट्रीय गरीबी उन्मूलन दिवस: गरीबी एक वैश्विक अभिशाप

Poverty Eradication day

गरीबी का दायरा सिर्फ स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए आय और संसाधनों की कमी होना ही नहीं है, बल्कि उससे कहीं ज्यादा व्यापक है। इसमें भूख और कुपोषण, शिक्षा और बुनियादी सेवाओं तक सीमित पहुंच, सामाजिक भेदभाव और बहिष्कार के साथ ही निर्णय लेने की भागीदारी से वंचित होना भी शामिल है। दुनिया के अरबों लोग इन सुविधाओं और अधिकारों से वंचित है और गरीबी में जीवन जीने को अभिशप्त हैं। साल 2015 में दुनियाभर में 736 मिलियन लोग यानी 73 करोड़ 60 लाख से ज्यादा लोग अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा से नीचे रहते थे। यानी विश्व की कुल आबादी की करीब 10 फीसदी जनसंख्या अत्यधिक अत्यधिक गरीबी में जी रही थी और स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और स्वच्छता जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए जद्दोजहद कर रही थी।

विश्व खाद्य दिवस: चुनौतियां और संभावनाएं

Global HUnger

भोजन को हर व्यक्ति का मौलिक और बुनियादी अधिकार मानते हुए संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाता है। इसका उद्देश्य भुखमरी से पीड़ित लोगों को जागरूक करना और हर व्यक्ति को भूख से बचाना है। यह संगठन बदलती टेक्नोलॉजी के साथ कृषि, पर्यावरण, पोषक तत्व और खाद्य सुरक्षा के बारे में जानकारी देता है और वैश्विक स्तर पर लोगों को जागरूक करता है। ताकि पूरी दुनिया में खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता बढ़ाई जा सके और कुपोषण को रोका जा सके।

अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस: बालिकाओं का अधिकार, बेहतर भविष्य का निर्माण

International Girl Child Day

दुनिया में 10 साल से 18 साल के बीच की किशोर लड़कियों की कुल आबादी 1.1 बिलियन (एक अरब 10 करोड़) से ज्यादा है। इन किशोर लड़कियों में भविष्य की तमाम चुनौतियों का सामना करने और आगे बढ़ने की सक्षमता है। अगर इन किशोरियों को उनका अधिकार और अवसर की सुविधा मुहैया कराई जाए तो वे विश्व को एक सुरक्षित, समृद्ध और स्वस्थ वातावरण देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं... लेकिन बाल विवाह, शिक्षा में असमानता, लैंगिक भेदभाव, हिंसा, उचित पोषण की कमी, स्वस्थ वातावरण और स्वास्थ्य देखभाल में भेदभाव जैसी गंभीर चुनौतियां लड़कियों के विकास के मार्ग में एक बड़ा रोड़ा बना हुआ है।

क्यों ज़रूरी है क्वाड और कैसे लगाएगा चीन की विस्तारवादी नीति पर लगाम?

Merchant ship in Indo Pacific sea

आर्थिक और रणनीतिक रूप से इतने महत्वपूर्ण क्षेत्र की यथास्थिति को बदलने के लिए चीन पिछले एक दशक से ज्यादा समय से प्रत्यनशील है और यह बात अमेरिका समेत क्वाड के सभी देशों के लिए चिंता का सबब है। इसके साथ ही चीन जिस तरह से लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन कर रह है उसने भी क्वाड देशों की चिंता बढ़ाई है। क्वाड के प्रत्येक सदस्य को लगता है कि दक्षिण चीन सागर में चीन जिस तरह से पैर पसार रहा है और वन बेल्ट वन रोड प्रोजेक्ट जैसी पहलों के जरिए अपने प्रभाव क्षेत्र का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है उससे उनके लिए खतरा बढ़ रहा है।

क्वाड: कैसा रहा अब तक का सफ़र और क्या रही उपलब्धियां?

Quad Countries Flag

क्वाड आधिकारिक तौर पर क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग है जिसके सदस्य भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हैं। इसका मकसद इन चारों देशों के समुद्री सीमाओं के हितों का ध्यान रखना, जलवायु परिवर्तन पर काम करना, कोविड-19 महामारी से लड़ना और नवाचार को बढ़ाना है। इसके साथ ही दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती ताकत का मुकाबला करना भी इसका प्रमुख उद्देश्य है।

क्वाड शिखर सम्मेलन-2021: बेहतर विश्व का निर्माण और वैश्विक चुनौतियों से निपटने का सशक्त मंच

QUAD first in person

बदलते वैश्विक परिवेश में क्वाड शिखर सम्मेलन के संयुक्त बयान से साफ है कि इन देशों के पास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ एक व्यापक और ठोस एजेंडा है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को अपना साझा भविष्य बताते हुए इस पूरे क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाने के साथ ही शांति और समृद्धि के जिस रास्ते पर चलने का वादा इन देशों ने किया है वह चीन के मौजूदा रवैये से पूरी तरह से अलग है।

अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस 2021: महत्व और जरूरत

International day of democracy

दुनिया में किसी भी देश में शासन व्यवस्था को चलाने के सबसे लोकप्रिय रूपों में से एक है लोकतंत्र... जहां समाज के अंतीम छोर पर बैठा व्यक्ति भी अपने मत और अधिकार का इस्तेमाल कर देश में सुशासन और लोकतांत्रिक सरकार के गठन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। यह वह व्यवस्था है जो अपने राज्य के हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के उनके सभी अधिकारों को सुनिश्चित करता है और राज्य के विकास में उनके सक्रिय भागीदारी को लगातार बढ़ावा देता है। लोकतंत्र के इस बुनियाद को ज्यादा से ज्यादा मजबूत बनाने के लिए हर साल 15 सितंबर को अतंर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है।

20 साल पहले आतंकी हमला: अमेरिका का रुख और कितना हुआ बदलाव

attack on world trade tower

9 सितंबर 2001 (9/11) अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकी हमला बेहद दर्दनाक था। न्यूयॉर्क के ट्विन टावर से लटकते पीड़ितों का दृश्य आज भी आंखों के सामने तैरता है। अमेरिका में हुए इस आतंकी हमले ने एक के बाद एक उन घटनाओं को जन्म दिया, जिसने अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान में दो दशक लंबे युद्ध में उलझते चले गए। और इसकी परिणति 30 और 31 अगस्त की दरम्यानी रात को देखने को मिली जब अमेरिका का सैन्य विमान सी-17 काबुल के हामिद करजई एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों की आखिरी टुकड़ी के साथ आखिरी उड़ान भरा। इस उड़ान के साथ ही यह साफ हो गया कि अफगानिस्तान में 20 साल तक चले अमेरिकी सैन्य अभियान का अंत हो गया है। हालांकि तालिबान के साथ हुए समझौते के मुताबिक अमेरिका को 31 अगस्त तक अफगानिस्तान छोड़ना था लेकिन अमेरिका ने अपना यह सैन्य मिशन तय समय से एक दिन पहले ही समाप्त कर दिया। जिस तालिबान को 20 साल पहले अमेरिका से हारकर काबुल से भागना पड़ा था उसी तालिबान ने 15 अगस्त 2021 को अमेरिका की मौजूदगी में ही काबुल पर कब्जा जमा लिया और अफगानिस्तान पर दोबारा अपना शासन कायम कर लिया।