Skip to main content

संदर्भ विशेष

अहमदनगर का भुईकोट किला- यादों के ख़ज़ाने से भरपूर है क़िले का इतिहास।

अहमदनगर किला

एक ऐसा किला... जिसके प्राचीर के भीतर भारत के समकालीन इतिहास और उसके स्वतंत्रता संग्राम का एक बड़ा हिस्सा छिपा हुआ है। एक ऐसा किला… जिसने करीब 600 वर्षों के दौरान अनगिनत लड़ाइयां देखी, अनेक साम्राज्यों का पतन देखा, अनेक मालिकों के अधीन रहा और उन तमाम इतिहासों को खुद में समेटे आज भी शान से खड़ा है। महाराष्ट्र के अहमदनगर शहर के बीचों-बीच स्थित यह किला समृद्ध भारतीय इतिहास का प्रतीक है, जो हमारे देश की कई सौ सालों की यात्राओं का गवाह रहा है...और भारतीय इतिहास की यादों से भरा पड़ा है। निजाम शाही वंश के उदय का प्रतीक होने से लेकर मुगलों के वर्चस्व की गवाही तक, मराठों के उदय का गवाह बनने से लेकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने तक... इस विशाल किले ने अपने अंदर भारतीय इतिहास और स्वतंत्रता संग्राम की अनेक अनमोल यादें संजोई हुई है... और यही वजह है कि यह किला भारत के सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक किलों में से एक है।

भारत-चीन सीमा विवाद: क्या है अतीत से वर्तमान तक की कहानी? भाग-1

Indo China Dispute

एक दिलचस्प बात यह है कि तिब्बत पर कब्जा करने से पहले चीन की सीमा सीधे तौर पर भारत से नहीं लगती थी। चीन ने जब 1951 में तिब्बत पर जबरदस्ती कब्जा कर लिया, तब चीन की स्थलीय सीमा भारत से सट गई और यहीं से भारत-चीन के बीच सीमा विवाद का जन्म हो गया।

चुनाव और जाति की राजनीति: क्या जाति के बिना चुनाव संभव नहीं है?

Caste in Politics

भारत में हुए चुनावी इतिहास पर अगर नजर डाले तो चुनाव दर चुनाव, राजनीति में जाति की अहमियत बढ़ती ही चली गई और जाति प्रमुखता से चुनाव जीतने या हारने का कारण बन गई। जबकि हमारे संविधान निर्माताओं ने इस बात पर जोर दिया था कि जैसे-जैसे भारतीय समाज शिक्षित और परिपक्व होगा वैसे-वैसे समाज में व्याप्त जाति की खाई पटती जाएगी और धीरे-धीरे जात-पात समाज से खत्म हो जाएगा। संविधान निर्माताओं ने राजनीतिक दलों से यह उम्मीद भी जताई थी और आह्वाहन भी किया था कि वो इसके लिए भविष्य में लगातार कोशिश करते रहेंगे। लेकिन हुआ इसके बिलकुल उलट...। जिन राजनीतिक दलों के कंधों पर समाज और देश के विकास में अवरोध बने जाति की इस खाई को खत्म करने का बोझ था, उन्होंने ही राजनीतिक सत्ता पाने के लिए जातियों की लामबंदी को न केवल बढ़ावा दिया बल्कि इसे खूब पुष्पित और पल्लवित भी किया।

तमाम सहयोग के बावजूद मालदीव क्यों हो गया भारत के खिलाफ? किसकी गलती, कौन जिम्मेदार? भारत के लिए क्यों जरूरी है मालदीव?

India - Maldives
भारत के दक्षिण में हिंद महासागर के बीच लक्षद्वीप समूह के दक्षिण और श्रीलंका के पास स्थित मूंगे से बने 1200 द्वीपों से बना एक छोटा सा देश है मालदीव... जहां नीले समुद्र से घिरे सफेद रेत के किनारों वाले द्वीप पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन आज पूरी दुनिया की निगाहें यहां जारी राजनीतिक उठापटक और भारत-मालदीव के राजनयिक रिश्तों में आई कड़वाहट पर टिक गई है। दरअसल क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से एशिया के इस सबसे छोटे देश से भारत की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, जातीय, भाषायी और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने रहे हैं। लेकिन अक्टूबर 2023 में प्रोग्रेसिव अलायंस के नेता मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के साथ दशकों से मजबूत दोनों देशों के संबंधों में तनाव आने शुरू हो गए।  

तमाम सहयोग के बावजूद मालदीव क्यों हो गया भारत के खिलाफ? किसकी गलती, कौन जिम्मेदार? भारत के लिए क्यों जरूरी है मालदीव?

India - Maldives
भारत के दक्षिण में हिंद महासागर के बीच लक्षद्वीप समूह के दक्षिण और श्रीलंका के पास स्थित मूंगे से बने 1200 द्वीपों से बना एक छोटा सा देश है मालदीव... जहां नीले समुद्र से घिरे सफेद रेत के किनारों वाले द्वीप पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन आज पूरी दुनिया की निगाहें यहां जारी राजनीतिक उठापटक और भारत-मालदीव के राजनयिक रिश्तों में आई कड़वाहट पर टिक गई है। दरअसल क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से एशिया के इस सबसे छोटे देश से भारत की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, जातीय, भाषायी और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने रहे हैं। लेकिन अक्टूबर 2023 में प्रोग्रेसिव अलायंस के नेता मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के साथ दशकों से मजबूत दोनों देशों के संबंधों में तनाव आने शुरू हो गए।  

अयोध्या विवाद..कानूनी लड़ाई से लेकर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा तक..आखिर कैसे हुए रामलला विराजमान? क्या है राम मंदिर निर्माण की पूरी कहानी?

Ram ji and Ayodhya temple
सदियों के संघर्ष, उम्मीद और इंतज़ार के बाद आखिरकार वो वक्त आ ही गया जब रामलला अपने बाल रूप में अपनी जन्म स्थली अयोध्या में स्थित श्रीराम मंदिर में पूरे ठाठ-बाट से विराजमान होंगे। श्रीराम अपने इस मोहक रूप में भक्तों समेत श्रीराम मंदिर आने वाले हर श्रद्धालु को अपनी आभा से मोहित करते रहेंगे। त्रेता युग में अवतरित रघुकुल के राजा राम हमारे आदर्श पुरुष हैं। श्रीराम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक हिस्सों में उतने ही आदर और श्रद्धा के साथ देखे जाते हैं जितने कि भारत में। आखिर क्या था वह विवाद और मंदिर निर्माण के लिए कितना कठिन संघर्ष रहा...कब और कैसे शुरू हुआ अयोध्या विवाद और कब-कब गरमाया राम जन्म भूमि का मुद्दा और आखिरकार कैसे मंदिर निर्माण का कार्य पूरा हुआ? क्या हैं इसके ऐतिहासिक और कानूनी पहलू? इसे जानने के लिए हमें पांच सौ साल पहले का इतिहास खंगालना होगा। तो चलिए जानते हैं उस इतिहास के बारे में।

दंगा रोकने की जिम्मेदारी किसकी? और लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए संविधान राज्य को क्या अधिकार देता है?

Mewat Nuh Riots
देश की एकता, राज्य की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को बचाने और बनाने रखने के लिए यह अति आवश्यक है कि इस तरह के दंगों और हिंसात्मक कार्यों में लिप्त लोगों को धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर ऐसी कठोर सजा मिले कि भविष्य में इस तरह के काम करने से पहले उन्हें हजार बार सोचना पड़े। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की संस्कृति और सभ्यता सद्भाव, समभाव और सौहार्द पर टिकी है। यह हमारी मजबूती की बुनियाद है। इसे किसी भी कीमत पर बिगड़ने नहीं देना है, नहीं तो हम विश्व शक्ति कभी नहीं बन पाएंगे।

‘जित्रा’ के जंगलों में तैयार हुई थी आजाद हिंद फौज की रूपरेखा

Netaji and Azad Hind Fauj

सुभाष चंद्र बोस का भारत से निकलना और 9 महीने बाद जर्मनी रेडियो से भारतीयों को संबोधित करना चमत्कार, रहस्य और रोमांच से भरपूर है। भारत से जियाउद्दीन नाम के मुस्लिम फकीर बनकर निकलने से लेकर बीमा कंपनी का ऐजेंट बनकर पेशावर तक की रेल यात्रा करना। उसके बाद काबुल तक ट्रक में यात्रा करना और काबुल में ‘मूक बधिर तीर्थ यात्री’ के रूप में रहने के दौरान असहनीय कष्ट और मुसीबतों को झेलना सिर्फ और सिर्फ सुभाष चंद्र बोस जैसे राष्ट्रभक्त के बूते की बात ही थी।

हिन्दी: कैसे बनेगी वैश्विक भाषा और क्या है चुनौतियां? हिन्दी का इतिहास और प्रचार-प्रसार

हिन्दी दिवस
आज दुनिया भर में 100 करोड़ से ज़्यादा लोग हिंदी बोल या समझ लेते हैं। इससे हिन्दी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान बनाने में कामयाब हुई है। यूनेस्को की सात भाषाओं में हिन्दी को भी मान्यता प्राप्त है। इसके साथ ही हिंदी सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि एक बाज़ार बन चुकी है जिसमें साहित्य से लेकर टीवी और फिल्म जैसे बड़े कारोबार शामिल है। लेकिन इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद हिंदी की स्वीकार्यता उतनी नहीं है जितनी इसकी गौरवशाली इतिहास, व्याकरणिक शुद्धियां और शानदार उपलब्धियां है। और इसके लिए अभी लंबी लड़ाई जरूरी लग रही है। खासकर भूमंडलीकरण के दौर में अंग्रेजी से प्रतिस्पर्धा हिंदी को काफी पीछे ले जा रही है।

आधी रात को आज़ादी क्यों मिली? आज़ादी से जुड़ी दिलचस्प और ऐतिहासिक जानकारी

15th Aug interesting facts

15 अगस्त 1947...भारतीय इतिहास का वह सुनहरा दिन... जब सदियों की गुलामी और दासता के बाद भारत ने आजादी हासिल की थी। खुदमुख्तार मुल्क के रूप में 15 अगस्त 1947 को भारत ने दुनिया के मानचित्र पर अपनी जगह बनाई और यह तारीख हर भारतीय के दिलों-दिमाग पर सुनहरे अक्षरों में अंकित हो गया। ऐसे में हमे अपनी आजादी से जुड़े कुछ ऐतिहासिक बातों को जानना भी बहुत जरूरी है। मसलन 15 अगस्त को ही आजादी क्यों मिली? आधी रात को ही आजादी का जश्न क्यों मनाया गया? आजाद भारत का पहला झंडा कहां फहराया गया? 14 और 15 अगस्त की रात को संविधान सभा में क्या हुआ? और 1950 से पहले तक हम क्यों 26 जनवरी को भी स्वतंत्रता दिवस के रूप में ही मनाते थे?