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समसामयिक

तमाम सहयोग के बावजूद मालदीव क्यों हो गया भारत के खिलाफ? किसकी गलती, कौन जिम्मेदार? भारत के लिए क्यों जरूरी है मालदीव?

India - Maldives
भारत के दक्षिण में हिंद महासागर के बीच लक्षद्वीप समूह के दक्षिण और श्रीलंका के पास स्थित मूंगे से बने 1200 द्वीपों से बना एक छोटा सा देश है मालदीव... जहां नीले समुद्र से घिरे सफेद रेत के किनारों वाले द्वीप पूरी दुनिया के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करते रहे हैं। लेकिन आज पूरी दुनिया की निगाहें यहां जारी राजनीतिक उठापटक और भारत-मालदीव के राजनयिक रिश्तों में आई कड़वाहट पर टिक गई है। दरअसल क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से एशिया के इस सबसे छोटे देश से भारत की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, जातीय, भाषायी और सांस्कृतिक संबंध सदियों पुराने रहे हैं। लेकिन अक्टूबर 2023 में प्रोग्रेसिव अलायंस के नेता मोहम्मद मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के साथ दशकों से मजबूत दोनों देशों के संबंधों में तनाव आने शुरू हो गए।  

दंगा रोकने की जिम्मेदारी किसकी? और लोक व्यवस्था बनाए रखने के लिए संविधान राज्य को क्या अधिकार देता है?

Mewat Nuh Riots
देश की एकता, राज्य की सुरक्षा और सामाजिक सौहार्द को बचाने और बनाने रखने के लिए यह अति आवश्यक है कि इस तरह के दंगों और हिंसात्मक कार्यों में लिप्त लोगों को धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर ऐसी कठोर सजा मिले कि भविष्य में इस तरह के काम करने से पहले उन्हें हजार बार सोचना पड़े। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत की संस्कृति और सभ्यता सद्भाव, समभाव और सौहार्द पर टिकी है। यह हमारी मजबूती की बुनियाद है। इसे किसी भी कीमत पर बिगड़ने नहीं देना है, नहीं तो हम विश्व शक्ति कभी नहीं बन पाएंगे।

जम्मू-कश्मीर परिसीमन: इतिहास, बदलाव और असर !

jammu kashmir delimitation

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाला अनुच्छेद 370 को केंद्र सरकार द्वारा खत्म करने के बाद, इस संवेदनशील सूबे को देश की मुख्यधारा से जोड़ने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए ठोस जमीन तैयार करने की कोशिश कई स्तरों पर हो रही है। इन कोशिशों में जम्मू-कश्मीर में निर्वाचन क्षेत्रों के लिए नया परिसीमन भी शामिल है। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में लोकसभा और विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए मार्च 2020 में गठित जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग ने अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। चुनाव आयोग ने इसके आधार पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा और लोकसभा सीटों को लेकर नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया। परिसीमन आयोग के सुझावों को लागू करने के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति में काफी बदलाव आने की उम्मीद है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन कराने की जरूरत क्यों पड़ी और इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर में किस तरह के बदलाव देखने को मिलेंगे... साथ ही भविष्य में जम्मू-कश्मीर की आवाम और वहां की राजनीति पर इसके क्या असर होंगे।

अविश्वास प्रस्ताव और पाकिस्तान की बदहाली: महंगाई, मुद्रास्फीति, आतंक और कट्टरता से बर्बाद होता पाकिस्तान

Destitute in pakistan

बड़े-बड़े वादे करने वाले और पाकिस्तान को आर्थिक, सामरिक और वैश्विक ताकत बनाने का खोखला दावा करने वाले इमरान खान के शासनकाल के बमुश्किल अभी तीन साल और सात महीने ही पूरे हुए थे, कि भ्रष्टाचार, महंगाई और पाकिस्तान की बदहाल अर्थव्यवस्था के साथ ही असफल विदेश नीति का हवाला देते हुए विपक्षी पार्टियां पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज ने 8 मार्च को नेशनल असेंबली में इमरान खान की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। इमरान खान की मुश्किलें तब और बढ़ गईं, जब उनकी ही पार्टी के करीब दो दर्जन सांसदों ने उनका साथ छोड़ दिया। दरअसल पाकिस्तान में लोकतंत्र के अस्थिर होने का खामियाजा न केवल वहां की जनता को भुगतना पड़ा है, बल्कि भारत समेत तमाम पड़ोसी मुल्कों को भी उठानी पड़ी है। अस्थिरता का तकाजा ये रहा कि पाकिस्तान के गठन के बाद से अब तक कोई भी प्रधानमंत्री वहां पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका।

रूस-यूक्रेन युद्ध (भाग-दो): क्रीमिया पर कब्जा और विवाद

Russia-Ukraine War Part- 2

रूस और यूक्रेन ऐतिहासिक काल से ही सांस्कृतिक, सामाजिक और भू-राजनीतिक रूप से कमोबेश एक दूसरे से जुड़े हुए थे। हालांकि, मंगोलों और तुर्कों के आक्रमण से इनकी सीमाएं घटती-बढ़ती रहती थीं। बाद में रूस ने यूक्रेन और क्रीमिया को अपने में मिला लिया था। लेकिन रूस के इस अधिग्रहण को लेकर यूक्रेन में समय-समय पर आक्रोश भी होता रहा और आजादी की छटपटाहट यूक्रेनी लोगों में हमेशा से बनी रही। इस आलेख में हम चर्चा करेंगे... यूक्रेन के स्वतंत्र देश के रूप में अलग होने के साथ ही सोवियत संघ में शामिल होने की। इसके अलावा उस क्रीमिया के इतिहास की भी चर्चा करेंगे जो वर्तमान में रूस-यूक्रेन झगड़े का वजह बना... और जानेंगे कि जिस क्रीमिया को रूस ने 1954 में दोस्ती की मिसाल के तौर पर यूक्रेन को दे दिया उसी क्रीमिया पर 2014 में क्यों जबरदस्ती कब्जा कर लिया?

रूस-यूक्रेन युद्ध (भाग-एक) : ऐतिहासिक संबंध

Russia Ukraine Part 1

रूस-यूक्रेन युद्ध का क्या होगा परिणाम... सामरिक, राजनीतिक, कूटनीतिक और आर्थिक स्तर पर किस तरह के नतीजे देखने को मिलेंगे... क्या इस युद्ध के बाद वैश्विक स्तर पर एक नया ध्रुवीकरण देखने को मिलेगा और क्या दुनिया फिर से दो पक्षों में बंट जाएगी। क्या एक और परमाणु विभीषिका दुनिया को देखने को मिलेगी। इन सब के बीच सवाल ये है कि...आखिर ऐसी क्या बात हो गई कि 1991 तक सोवियत संघ का हिस्सा रहे और सोवियत परमाणु संयंत्र का केंद्र रहा यूक्रेन रूस के खिलाफ इतना बगावती हो गया। और क्यों अमेरिका समेत सभी नाटो देश यूक्रेन को अपनी तरफ मिलाने और उसका समर्थन करने पर उतारू हो गए। इन तमाम मुद्दों को जानने के लिए रूस-यूक्रेन के ऐतिहासिक संबंधों को समझना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही पूर्वी और पश्चिमी यूरोप के साथ रूस और यूक्रेन के संबंधों को भी जानना जरूरी है। इन सभी पहलुओं को गहराई से जानने समझने के लिए सबसे पहले बात करते हैं रूस और यूक्रेन के ऐतिसाहिक संबंधो की...

कैसी होगी डिजिटल करेंसी और क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?

Digital Currency

डिजिटल पेमेंट्स से डिजिटल करेंसी बिलकुल अलग होगी। दरअसल, ज्यादातर डिजिटल पेमेंट्स चेक की तरह काम करते हैं। इसमें आप बैंक को निर्देश देते है कि वह आपके अकाउंट में जमा राशि से इतने रुपये का पेमेंट या ट्रांजेक्शन कर दे, तब बैंक उतनी राशि का पेमेंट करता है। इस तरह डिजिटल ट्रांजेक्शन में कई संस्थाएं और लोग शामिल होते हैं जो इस प्रोसेस को पूरा करते हैं। जैसे, अगर आपने क्रेडिट कार्ड से कोई पेमेंट किया तो क्या तुरंत ही सामने वाले को पैसा मिल गया? तो इसका जवाब है नहीं...। डिजिटल पेमेंट सामने वाले के अकाउंट में पहुंचने के लिए एक मिनट से 48 घंटे तक का समय ले लेता है। यानी, पेमेंट तत्काल नहीं होता, उसकी एक प्रक्रिया होती है। लेकिन जब आप डिजिटल करेंसी के जरिए किसी को पेमेंट करते हैं तो वह सामने वाले को तुरंत मिल जाता है और यही इसकी खूबी है।

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा: भारत-रूस संबंधों के लिए कितना महत्वपूर्ण?

Putin Visit to India 2021

एक ओर दुनिया कोविड-19 महामारी से जूझ रही है, तो दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था एक नया आकार ले रही है। वैश्विक स्तर पर राष्ट्रों के बीच बनते-बिगड़ते रिश्तों का असर सामरिक संबंधों पर भी पड़ रहा है। ऐसे में भारत और रूस की बात करें तो दोनों देश विश्व पटल पर अपने आप में अहम किरदार हैं। हालांकि जिस तरीके से अमेरिका के साथ भारत और चीन के साथ रूस के रिश्तों का उभार हुआ है, उसका असर भी इन दोनों देशों के संबंधों पर भी पड़ना लाजिमी है। इन सब के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा से भारत-रूस द्विपक्षीय संबंधों को एक नई ऊर्जा और नया आयाम भी मिलने की उम्मीद है।

G20 शिखर सम्मेलन, 2021: ‘रोम घोषणापत्र’ और बदलते वैश्विक परिवेश में जी20 की प्रासंगिकता

G20 Rome Summit

इटली के रोम में आयोजित दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन जी20, 31 अक्टूबर को समाप्त हो गया। दुनिया की कुल अर्थव्यवस्था का 80 फीसदी हिस्सा साझा करने वाले देशों ने जी20 सम्मेलन में कोविड-19 महामारी का मुकाबला करने, स्वास्थ्य अवसंरचना में सुधार, आर्थिक सहयोग को बढ़ाने और नवाचार को प्रोत्साहन देने जैसे मुद्दों पर सहमति जताई। साथ ही जलवायु परिवर्तन के तत्काल खतरे से निपटने के लिए सार्थक और प्रभावी कदम उठाने पर प्रतिबद्धता भी जताई। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि रोम में आयोजित जी20 शिखर सम्मेलन कितना सार्थक रहा और जी20 शिखर सम्मेलन अब तक अपने उद्देश्यों को हासिल करने में कितना सफल रहा है।

कॉप-26 सम्मेलन: जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां, ग्लासगो एजेंडा और आगे की राह

COP26

धरती का तापमान अगर 2 डिग्री बढ़ जाएगा तो क्या होगा? आम लोगों से लेकर प्रकृति पर इसका काफी भयावह असर पड़ेगा। इसकी वजह से दुनिया की एक तिहाई आबादी नियमित रूप से भीषण गर्मी की चपेट में आ जाएगी। इससे स्वास्थ्य समस्याएं और गर्मी से होने वाली मौतें आज की तुलना में काफी बढ़ जाएगी। तकरीबन सभी गर्म पानी के प्रवाल भित्तियां नष्ट हो जाएंगी और आकर्टिक सागर में मौजूद सभी बर्फ एक दशक में पिघल जाएंगे। यही नहीं, इसके विनाशकारी प्रभाव से वन्यजीव और उनसे जुड़े प्राणियों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जाएगा।